Investing in 2023: इस पूरे साल में रूस-यूक्रेन युद्ध और केंद्रीय बैंकों के रेट हाइक के फैसले का असर बाजार पर नजर आया। अब यह साल 2022 आखिरी महीने में चल रहा है।
विश्व स्तर पर, भू-राजनीतिक और मैक्रो-इकोनॉमिक अनिश्चितता बनी हुई है। ऐसे में अगले साल निवेश की रणनीति क्या हो, इसे लेकर कई तरह से फैसले लिए जा सकते हैं।
यहां वैश्विक निवेश बैंकों और फंड हाउसों की ओर से जारी आउटलुक नोट के मुताबिक चार ऐसी थीम बताई जा रही हैं जिनके आधार पर अगले साल के लिए निवेश के फैसले लिए जा सकते हैं।
तेज गिरावट का खतरा
इस साल वैश्विक बाजारों को झटका लगा है, लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अगला साल और खराब होगा। डच एसेट मैनेजमेंट फर्म रोबेको के मुताबिक अगले साल 2023 में अमेरिका में मंदी आ सकती है।
भारत की बात करें तो वैश्विक मंदी से भारत अछूता रहा, लेकिन शेयर जिस तरह से महंगे होते जा रहे हैं, उसमें तेज गिरावट की संभावना बढ़ रही है.
फेडरल रिजर्व का फैसला
इस साल वैश्विक बाजार में निचले स्तर से तेज रिकवरी की एक ही बड़ी वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व थी। इन्वेस्टमेंट बैंक जेपी मॉर्गन के मुताबिक, अगले साल अमेरिका और यूरोप में मंदी की आशंका को देखते हुए अनुमान है कि 2023 के शुरुआती महीनों में दरों में बढ़ोतरी पर रोक लग सकती है। इसका असर भारत समेत दुनिया भर के बाजारों पर दिखेगा।
चीन की नीति
चीन ने कोरोना को लेकर जीरो कोविड नीति अपनाई है। इससे वैश्विक स्तर पर सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
जेपी मॉर्गन के मुताबिक, अगर चीन अपनी कोविड नीति में ढील देता है तो इसका बाजार पर सकारात्मक असर पड़ेगा। जीरो कोविड नीति में ढील देने से एशिया में पूंजी का प्रवाह बढ़ेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होगा।
बॉन्ड तेजी से लौटेगा
अमेरिकी सॉवरेन बॉन्ड बाजार में जारी तेजी इस साल 2022 में थम गई। मॉर्गन स्टेनली के विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल बांड बेहतर प्रतिफल दे सकते हैं।
क्योंकि मुद्रास्फीति में मंदी और अमेरिका में मंदी केंद्रीय बैंक के रुख को उलट सकती है और दरों में बढ़ोतरी को रोक सकती है। यह बांड को फिर से एक आकर्षक निवेश बना देगा।
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