H3N2 Influenza Virus | H3N2 इन्फ्लूएंजा के मौसमी वायरल ने देश को अपनी चपेट में ले लिया है। शुक्रवार को कर्नाटक और हरियाणा में एच3एन2 से एक-एक मरीज की मौत की पुष्टि हुई है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से देश में वायरल बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, ऐसे में H3N2 ने चिंता बढ़ा दी है।
इसी को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज गाइडलाइन (H3N2 पर ताजा दिशानिर्देश) जारी की है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नीति आयोग शनिवार को अंतर-मंत्रालयी बैठक करने जा रहा है।
प्रबंधन के दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल कल ही जारी किए जाएंगे। स्वास्थ्य मंत्री ने आज एच3एन2 मामलों पर समीक्षा बैठक की और राज्यों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं।
मार्च के अंत तक मिल सकती है राहत
देश में कोविड-19 के तीन साल के इतिहास को देखते हुए सरकार रेस्पिरेटरी इलनेस जैसी बीमारियों को लेकर सतर्क है. आज स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि बीमार बुजुर्गों और बच्चों को H3N2 इन्फ्लुएंजा से सावधान रहने की जरूरत है.
राहत की बात यह है कि मार्च के अंत तक फ्लू के मामलों में कमी आने की उम्मीद है। सरकार के मुताबिक भारत में हर साल फ्लू के दो सीजन आते हैं।
जनवरी से मार्च और मानसून की समाप्ति के बाद- यही वह समय होता है जब भारत में वायरल फीवर के मामलों में तेजी देखी जाती है। ओपीडी और भर्ती मरीजों में बुखार आने वालों पर नजर रखी जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्रालय कर रहा है निगरानी
सरकार की ओर से आज बताया गया है कि मौसमी इन्फ्लुएंजा के उपप्रकार H3N2 के मामलों पर सावधानी से नजर रखी जा रही है. स्वास्थ्य मंत्रालय आईडीएसपी नेटवर्क के जरिए एच3एन2 मामलों की रियल टाइम मॉनिटरिंग कर रहा है।
राज्यों में मौसमी इन्फ्लूएंजा के H3N2 उपप्रकार के मामलों की कड़ी निगरानी और ट्रैकिंग चल रही है। कर्नाटक और हरियाणा में एक-एक मौत की पुष्टि हुई है।
आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) ने इसे लेकर एडवाइजरी भी जारी की है। मार्च के अंत तक मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में कमी आने की उम्मीद है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने उपचार प्रोटोकॉल का पालन करने और वेंटिलेटरी प्रबंधन की निगरानी के लिए वायरल रोगियों के वर्गीकरण के संबंध में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक दिशानिर्देश जारी किया है। इसके साथ ही सरकार ने यह भी कहा है कि राज्य सरकारें ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण करें जो एच1एन1 मामलों की जांच कर रहे हैं।
वायरल के मामले कितनी तेजी से फैल रहे हैं
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 9 मार्च तक देश में एच3एन2 इंफ्लुएंजा वायरस के 3038 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. इनमें जनवरी में 1245, फरवरी में 1307 और नौ मार्च तक 486 मामले दर्ज किए गए हैं।
सभी तरह के वायरल फीवर को मिलाकर देखें तो जनवरी माह में 3 लाख 97 हजार 814 मामले दर्ज किए गए। फरवरी में 4 लाख 36 हजार 523 और मार्च के केवल 9 दिनों में 1,33,412 मामले सामने आए हैं।
लक्षणों में ठंड लगना, खांसी, जुकाम, बुखार, उल्टी, गले में खराश, पेट की ख़राबी के साथ मांसपेशियों और शरीर में दर्द शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक H3N2 की बीमारी दूसरे वायरस से ज्यादा खतरनाक है. इसमें मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की आशंका हो सकती है।
92 फीसदी मरीजों में बुखार, 86 फीसदी में खांसी, 27 फीसदी में सांस लेने में दिक्कत, 16 फीसदी में सांस की नली में घरघराहट, 16 फीसदी में निमोनिया और 6 फीसदी में मिर्गी देखी गई। 10 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट और 7 फीसदी को आईसीयू केयर की जरूरत पड़ी।
एच3एन2 क्या करें और क्या न करें
- फिलहाल मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें।
- खांसते और छींकते समय नाक और मुंह को ढक लें।
- आंखों और नाक को बार-बार न छुएं।
- बुखार और बदन दर्द हो तो पारासिटामोल लें।
- एक दूसरे से हाथ ना मिलाएं।
- सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें।
- एंटीबायोटिक्स न लें, जब तक कि डॉक्टर आपको ऐसा करने के लिए न कहे।
- समूह में एक साथ बैठकर खाना खाने से बचें।
H3N2 में कौन सी दवा काम करेगी?
WHO द्वारा उपप्रकार H3N2 के उपचार के लिए Oseltamivir दवा के उपयोग की सिफारिश की गई है। WHO के अनुसार, Oseltamivir H3N2 के उपचार में उपयोगी हो सकता है।
इससे पहले एच1एन1 के प्रसार के दौरान भारत में इस दवा का व्यापक इस्तेमाल होता रहा है। इसे टैमीफ्लू ब्रांड नाम से बेचा जाता है और यह आसानी से उपलब्ध है। सरकारी अस्पताल यह दवा मुफ्त में देते हैं।